मेरा सपना है खुशियों को छूने का
मेरी कल्पनाओ को सच करने का
सपनो का महल तो सब देखते हैं
घोडे पर सवार राजा तो सब चाहते हैं
पर मैं चाहती हूँ कुछ सुनहरे ख़ुशी के पल
जो न बह जाये रेत की तरह ॥
इक आशियाँ है सच करने को
इक जिंदगी है रंग भरने को
उड़ना तो मैं भी चाहती हूँ अपने पंखों से,
पर बांसुरी की जगह संगीत शुरू हो शंखों से ।
पक्षी तो उड़ जायेंगे नील गगन में
पर मेरा सपना तो बसा है मेरी लगन में।
ख़ुशी का हक मुझे भी है, पर मैंने क्या गिला की है?
हाँ बस चाँद पर नही मगर मैंने धरती पर सपने संजोने की खता की है।
Wednesday, April 29, 2009
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