Wednesday, April 29, 2009

खता

मेरा सपना है खुशियों को छूने का
मेरी कल्पनाओ को सच करने का
सपनो का महल तो सब देखते हैं
घोडे पर सवार राजा तो सब चाहते हैं
पर मैं चाहती हूँ कुछ सुनहरे ख़ुशी के पल
जो न बह जाये रेत की तरह ॥
इक आशियाँ है सच करने को
इक जिंदगी है रंग भरने को
उड़ना तो मैं भी चाहती हूँ अपने पंखों से,
पर बांसुरी की जगह संगीत शुरू हो शंखों से ।
पक्षी तो उड़ जायेंगे नील गगन में
पर मेरा सपना तो बसा है मेरी लगन में।
ख़ुशी का हक मुझे भी है, पर मैंने क्या गिला की है?
हाँ बस चाँद पर नही मगर मैंने धरती पर सपने संजोने की खता की है।

बेटियाँ

ओंस की एक बूँद सी होती हैं बेटियाँ
फूल की खुशबू सी होती हैं बेटियाँ
बेटा तो रोशन करेगा एक ही कुल को
दो-दो कुलों की लाज होती हैं बेटियाँ

काटों की राह पर तो ये चलती रहेगी
खुदा ओरों के लिए फूल ही बोती हैं बेटियाँ
विधि का विधान यही दुनिया की यही रस्म है
मुट्ठी में भरे हीर सी होती है बेटियाँ

बेटियाँ कोई नही हैं एक दुसरे से कम
हीरा अगर है बेटा तो मोती से कम नही हैं बेटियाँ ।