Wednesday, January 28, 2009

ऐसी भी होती हैं खामोशियाँ

ऐसी भी होती हैं खामोशियाँ

धड़कने जब आहत करने लगे,सांसें जब शोर करने लगे
नज़र्रें जब नज़रों में रुकने लगे
सारे आलम की हलचल थमने लगे
ऐसी भी होती हैं खामोशियाँ............ ......... ......... ......... ...
दिल में जब बेकरारी बढ़ने लगे
बिन कहे सब समझ में आने लगे
सारी दुन्या की होश जब खोने लगे
ऐसी भी होती हैं खामोशियाँ............ ......... ......... ......... ...
कोई अपना जब दूर होने लगे
कहने को कोई अल्फाज़ न रहे
कुछ होने की उम्मीद भी मिटने लगे
ऐसी भी होती हैं खामोशियाँ............ ......... ......... ......... ...
किसिस सवाल में हर जवाब नागवार होने लगे
बंद आँखों से तस्वीर दिखने लगे
नज़रें जब अहिस्ता से सीली होने लगे
ऐसी भी होती हैं खामोशियाँ............ ......... ......... ......... ...
कोई किसी के लिए है जीता
और किसी को ख़बर ही नही
बन के हवा कोई साँसे है देता
और किसी को कदर ही नही
कोई करके सजदे किसी के लिए दुआ है मांगता
और किसी को असर नही
चाहकर भी बता नहीं सकता
और ज़रा सा भी बेसबर नही
बस समझने को रह जाए
हो कहने को कुछ नही
ऐसी भी होती हैं खामोशियाँ. .........
खामोशियाँ. ......... ......... ......... .........

1 comment:

kamal lohan said...

Hey Manisha its super. I am waiting for ur next poem....take care